बीटीसी के फर्जी प्रमाण पत्र से सरकारी अध्यापक की नौकरी पाने वाले शिक्षक को अदालत ने सुनाई कठोर कारावास की सजा

नई टिहरी। बीटीसी के फर्जी प्रमाण पत्र के आधार पर सरकारी अध्यापक की नौकरी पाने वाले शिक्षक को जिला एवं सत्र न्यायाधीश योगेश कुमार गुप्ता की अदालत ने दोषी पाया। गुरुवार को दोषी को पांच साल कठोर कारावास के साथ ही 32 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई गई।

शासकीय अधिवक्ता फौजदारी स्वराज सिंह पंवार ने बताया कि जनपद के ब्लॉक भिलंगना में प्रारंभिक शिक्षा के तहत कार्यरत अध्यापक चंद्रपाल ने नियुक्ति के लिए यूपी मुरादाबाद से जारी बीटीसी प्रमाण पत्र अनुक्रमांक 5983 दिया था। चंद्रपाल यूपी के बिजनौर का निवासी है। प्रमाण पत्र के आधार पर चंद्रपाल की राजकीय प्राथमिक विद्यालय सांकरी भिलंग, ब्लॉक भिलंगना में पहली नियुक्ति हुई थी। 31 दिसंबर, 1990 को चंद्रपाल ने कार्यभार ग्रहण किया था। सिविल लाइंस मुराबाद निवासी अख्तर के शिकायती पत्र पर चंद्रपाल के दस्तावेजों की जांच जुलाई, 2018 में कराई गई। एसआईटी जांच में प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया। जिसके आधार पर थाना घनसाली में दस दिसंबर, 2019 को आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज किया गया। विवेचना के दौरान आरोपी चंद्रपाल के खिलाफ धाराओं को बढ़ाया गया। शासकीय अधिवक्ता ने मामले में मौखिक साक्ष्य के साथ 14 गवाहों को कोर्ट में पेश किया। पांच प्रमुख दस्तावेजी साक्ष्य भी अदालत के सामने रखे गए।