नैनीताल। ऋषिकेश स्थित इंडियन ड्रग्स एंड फार्मासूटिकल लिमिटेड (आई.डी.पी.एल.) की कुछ याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में सुनवाई चल रही थी। इस याचिका में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी भी मामले में ऑनलाइन जुड़ी थी।
सुनवाई के बाद आर्डर लिखाते समय मुख्य न्यायाधीश ने हाईकोर्ट को गौलापार शिफ्ट करने को गलत कदम बताते हुए कहा कि इसके लिए उपर्युक्त स्थल ऋषिकेश में आई.डी.पी.एल. की 850 एकड़ भूमि रहेगी। बताया गया कि इस भूमि में से 130 एकड़ भूमि में पूर्व कर्मचारी रहते हैं।
न्यायालय में मौखिक आदेश पारित होते ही अधिवक्ताओं के बीच खलबली मच गई और सभी बार सभागार में एकत्रित हो गए। अधिवक्ता इतने नाराज दिखे की वो चलते कोर्ट में सीधे मुख्य न्यायाधीश से मिलने पहुँच गए। अधिवक्ताओं ने अपनी नाराजगी जताई।
इस मौके पर हाईकोर्ट बार के अध्यक्ष डी.सी.एस. रावत, सचिव सौरभ अधिकारी, विजय भट्ट, प्रभाकर जोशी, सय्यद नदीम ‘मून’, विकास गुगलानी, पुष्पा जोशी, रमन साह, ललित बेलवाल, दीपप्रकाश भट्ट, कुर्बान अली, कैलाश तिवारी, सौरभ पाण्डे, दीप जोशी, हरेंद्र बेलवाल, भुवन रावत, दुष्यंत मैनाली, बी. एस. मेहता, एम.सी. कांडपाल, अजय बिष्ट, लता नेगी, सुहैल अहमद सिद्दीकी आदित्य साह आदि सैकड़ों अधिवक्ता मौजूद रहे।
अधिवक्ता जितेंद्र चौधरी ने बताया कि उनकी याचिका के बाद आदेश लिखाते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वो हाईकोर्ट को गौलापार शिफ्ट करने का वीरोध करते हैं। गढ़वाल क्षेत्र से आने वाले 70 प्रतिशत लोगों के लिए एक बेंच ऋषिकेश में स्थापित करने का प्रस्ताव किया। बांकी कुमाऊं के 30 प्रतिशत लोगों के लिए कोर्ट नैनीताल ही रहेगी।